
guruvar pipa ji -sita ji . sant pipa ji sita sahchari ji
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bhakt bhagvan .sant pipa ji sita sahchari ji
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संत पीपा जी एवं सीता सहचरी
गढ़ गाग्रौण एक राज्य था ,झालावाड़ के पास
पीपा पंथियों का बना , तीर्थ स्थल अब ख़ास
संत पीपा
वीर प्रतापी राजा ने , किया राज्य का त्याग
जीवन सफल बनाने को , अपनाया बैराग
संत
राजा क्यों योगी बना , ये कैसे हुआ संयोग
बारह रानीयां महल में , प्राप्त सभी थे भोग
संत
अकुलाते थे स्वप्न में,पूर्व जन्मो के संस्कार
आठवी रानी सीता ने , दिखलाया मुक्ति द्वार
संत
रानी सीता सहचरी , प्रबल ज्ञान और योग
रामानन्द से गुरु मिले , नहीं मात्र संयोग
संत
सगुण ब्रम्ह उपासना ,मन निर्मल निष्पाप
महारानी गागरौण की , भक्ति मती आप
संत
बनी प्रेरणा पीपाराव की,गुरुवर से मिलाया
गुरु रामा नन्द मिले ,जग से निवृति पाया
संत
गुरुवर ने भी शिष्य को , खूब आजमाया
कूद जाओ उस कुए में ,ऐसा हुक्म सुनाया
संत
दीक्षित पीपा राव जी , बन गए पीपा संत
जीवन अब एक सार है,पतझड़ और बसंत
संत
गुरुवर को मजबूर कर ,सीता ने दीक्षा पाई
जीव ना नर ना नारी है,बात उन्हें समझाई
संत
योग लिया पर नहीं, लिया पती से वियोग
भगवा पहन निकल पड़ी, सीता तज भोग
संत
छाया बनी संत की , सीता सहचरी कहाई
भक्तो के संग भक्ति करी ,पत्नी धर्म निभाई
संत
दर्शन द्वारकाधीश के ,पाए सागर में जाय
महिमा दोनों संत की ,जग ये सारा गाय
संत
दिया पठानों को परचा,सिंहनी रूप बनाय
पीपा पंथी गर्व से ये कथा आज भी गाय
संत
हाथों में ले सुमरनी,मुख में राम का नाम
सिखलाया कैसे जिएँ , जीवन ये निष्काम
संत
राजस्थान ,गुजरात , मालवा और पंजाब
भक्त शिरोमणी पीपा का , फैला है प्रताप
संत
पा उपदेश अहिंसा का,पीपा पंथी कहलाए
राम नाम को सिमरते , कपड़े सीते जाए
संत
पीपा पंथी याद रखे, ये पीपा के उपदेश
उनकी वाणी के लिखे ,गोपाल जी संदेश
संत
१.पीपा पाप ना कीजिए ,अलगो रही आप
करणी जैसी आपकी,कुण बेटो कुण बाप
संत
२.जिव मार जौहर करे .खाता करे बखान
पीपा परतख देख ले,थाली माय मशाण
संत
३.जो ब्रह्ममांडे सोई पिंडे ,जो खजे सो पाए
पीपा प्रणवे परम तत्व ने , सतगुरु लखाए
संत
४.अनहद बाजे निर्झर झरे ,उपजे ब्रह्म ज्ञान
भक्ति अंतर में प्रकटे,लागे प्रेम को ध्यान
संत
जन कवि .गोपाल जी सोलंकी
संत पीपा जी एवं सीता सहचरी
गढ़ गाग्रौण एक राज्य था ,झालावाड़ के पास
पीपा पंथियों का बना , तीर्थ स्थल अब ख़ास
संत पीपा
वीर प्रतापी राजा ने , किया राज्य का त्याग
जीवन सफल बनाने को , अपनाया बैराग
संत
राजा क्यों योगी बना , ये कैसे हुआ संयोग
बारह रानीयां महल में , प्राप्त सभी थे भोग
संत
अकुलाते थे स्वप्न में,पूर्व जन्मो के संस्कार
आठवी रानी सीता ने , दिखलाया मुक्ति द्वार
संत
रानी सीता सहचरी , प्रबल ज्ञान और योग
रामानन्द से गुरु मिले ,नहीं मात्र ये संयोग
संत
sant pipa ji sita sahchari ji
jan kavi .gopal ji solanki