
होकर दुखी कपास ये बोली
आदि मानव की देख के हालत उतरी धरा पे कपास की देवी बोली मानव नंगे क्यों रहते हो आजा ओ तुम शरण में मेरी आदि मानव की कपास की देवी के हाथों से पाकर के उपहार ये प्यारा मानव अब खुश हो के जी रहा कष्ट मिट गया उसका सारा धन्य हो गया छोटी सी […]