
आदि कवि .ऋषि वाल्मीकि [jynti]
आदि कवि .ऋषि वाल्मीकि संस्कारों की जड़, बड़ी गहरी होय संगत के असर की ,उम्र थोड़ी होय रत्नाकर डाका जनी कर,पेट की आग बुझाय बचकर उनसे, राहगीर, जा ना पाय नारद सोए संस्कार जगाने, किया उपाय दिया मन्त्र राम नाम की,लौ लगाय वाल्मिक जपते जपते रम गए, राम के माय देखा तड़पत जीव,करुणा भर […]